दोस्तों अहिल्याबाई होल्कर एक ऐसा नाम है जिसे आज भी इंदौर में बड़े गर्व के साथ लिया जाता है। इंदौर के घर घर में उनकी पूजा, उनकी प्रार्थना होती है।
आज हम women empowerment की बात करते है , लेकिन women empowerment क्या होता है अगर ये जानना हो तो आपको अहिल्याबाई होल्कर के जीवन को पढ़ना चाहिए। अहिल्याबाई के जीवन में आपको नारी शक्ति की वो झलक मिलेगी जो न केवल आपको नारी शक्ति का अहसास करवाएगी बल्कि आपको प्रेरित भीं करेगी।
आज तो हमारे पास कई साधन है , संवैधानिक अधिकार है , कानून है समानता का अधिकार है। परन्तु उस ज़माने में ऐसा कुछ नहीं होता था। जो महिलाये ये कहती है कि भारत एक पुरुष प्रधान देश है यहाँ पुरुषों का ज्यादा प्रभुत्व है, वो एक बार अहिल्याबाई के जीवन को जरूर पढ़े।
पुरुष प्रधान समाज क्या होता है ये जानना हो तो अहिल्याबाई के ज़माने में एक बार जाकर देखना चाहिए। हालाँकि आप उस ज़माने में जा नहीं सकते , परन्तु मैं आपको इस आर्टिकल के माध्यम से उस ज़माने की एक झांकी जरूर दिखाऊंगा। बस आप मेरे साथ इस आर्टिकल के सफर में साथ -साथ अंत तक चलिए।
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अहिल्याबाई होल्कर का इतिहास एवं जीवन परिचय
पूरा नाम | अहिल्याबाई खांडेराव होल्कर (पुण्यश्लोक) |
जन्म स्थान | चौंढी गाँव, अहमदनगर, महाराष्ट्र |
पिता का नाम | मान्कोजी शिंदे |
माता का नाम | सुशीला शिंदे |
राजवंश | मराठा साम्राज्य |
धर्म | हिन्दू |
जन्म तारीख | 31 मई 1725 |
अहिल्याबाई होल्कर का प्रारंभिक जीवन
दोस्तों अहिल्याबाई होल्कर का जन्म चौंडी नाम के एक गाँव में हुआ था जो आजकल महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में पड़ता है। इनके पिता का नाम मान्कोजी शिंदे एंव माता का नाम सुशीला शिंदे था।
मान्कोजी बहुत ही विद्वान व्यक्ति थे और बचपन से ही वो अहिल्या के शिक्षा के प्रति बहुत सजग थे और उनकी शिक्षा अपने देख रेख में ही शुरू कर दिया था। जबकि उस ज़माने में महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं दिया जाता था।
परन्तु फिर भी मान्कोजी जी ने अहिल्या को न सिर्फ प्रारंभिक शिक्षा दी अपितु अच्छे संस्कार भी दिए. अहिल्याबाई बचपन से ही विशाल हृदय वाली थी, उनका विशाल ह्रदय और आकर्षक छवि ही उनके व्यक्तित्व में चार चाँद लगा देते है।
अहिल्याबाई का विवाह और पारिवारिक जीवन
अहिल्याबाई के पति का नाम | खण्डेराव होलकर |
अहिल्याबाई के विवाह समय | 1733 ई. |
अहिल्याबाई के पुत्र व पुत्री का नाम | मालेराव और मुक्ताबाई |
अहिल्याबाई का राजवंश | मराठा साम्रज्य |
अहिल्या का विवाह जब खण्डेराव होलकर के साथ हुआ तो वो महज 12 साल की थी। और प्रकृति की विडम्बना तो देखिये महज २९ साल की उम्र में ही वो विधवा हो गईं। अहिल्या के पति का स्वभाव थोड़ा चंचल और गुसैल था।
अपने पति द्वारा दी गयी सारी यातनाएं, सारी प्रताड़नाएं उन्होंने झेली, अहिल्याबाई को एक खूबसूरत पुत्र भी हुआ जिसका नाम मालेराव रखा गया।
वो कहते है न जब मुसीबतें आती है तो चारों तरफ से आती है, 1754 में कुंभार युद्ध के दौरान अहिल्या के पति वीरगति को प्राप्त हो गए।
पति की मृत्यु तो हो ही गयी थी, फिर जब वह 42-43 साल की थीं, उनके पुत्र मालेराव का भी देहान्त हो गया।
जब अहिल्याबाई की आयु बासठ वर्ष के लगभग थी, पुत्री के विवाह के कुछ ही वर्ष पश्चात् दामाद यशवन्तराव फणसे की भी मृत्यु हो गयी जिसके चलते इनकी पुत्री मुक्ताबाई सती हो गई।
अहिल्याबाई का शासन और राज्यभिषेक
दोस्तों जब अहिल्या बाई के पुत्र मालेराव का देहांत हो गया तो उन्होंने पेशवा के समक्ष अर्जी भिजवाई कि अब सत्ता की बागडोर वो संभालना चाहती हैं. पेशवा ने उनकी अर्जी को स्वीकार कर लिया। और इस तरह अहिल्याबाई मालवा की शासक बन गईं.
अहिल्या बाई ने मल्हार राव होल्कर के दत्तक पुत्र तुको जी राव को अपना सेनापति बनाया। इसके बाद मालवा राज्य के लोगों ने देखा कि कैसे एक महिला न केवल राज्य का शासन करती है बल्कि पुरे राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाती है। अपने पति, ससुर और बेटे को खो चुकी अहिल्या बाई के शासन को इंदौर में आज भी लोग बड़े गर्व के साथ याद करते हैं.
अहिल्याबाई का कार्यकाल और योगदान
कहा जाता है कि अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थस्थानों में मन्दिर बनवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए।
भूखों के लिए भोजनशाला बनवायी जहां भूखे लोग जाकर भोजन ग्रहण कर सकते थे, प्यासों के लिए घाट बनवायें। मन्दिरों में विद्वानों की नियुक्ति की जिससे वो लोगों को शास्त्रों का ज्ञान दे सके उन्हें प्रवचन सुना सके।
अहिल्याबाई के जीवनकाल में इनको “जनता की देवी” समझा और कहा जाता था, आखिर कहे भी क्यों न अहिल्याबाई जैसा व्यक्तित्व जनता ने अपनी आँखों से पहले देखा ही कहाँ था।
जब चारों ओर तबाही मची हुई थी, शासन और व्यवस्था के नाम पर अत्याचार हो रहे थे। प्रजाजन, किसान और मजदूर अत्यन्त हीन अवस्था में सिसक रहे थे, धर्म-अन्धविश्वासों, भय त्रासों और रूढि़यों की जकड़ में कसे हुए थे। उनके सत्ता में आने के बाद अहिल्याबाई ने इन सारे अंधविश्वासों और अराजकता के खिलाफ कड़ा कदम उठाया।
अहिल्याबाई होल्कर से जुड़े कुछ मतभेद और तथ्य
अहिल्याबाई के मन्दिर-निर्माण और अन्य धर्म-कार्यों के महत्त्व के विषय में मतभेद है, कुछ लोगों का मानना है कि धर्मो और पूजा पाठ में अधिक लगाव होने के कारण अहिल्याबाई ने धर्म कार्यों में आवश्यकता से ज्यादा खर्च किया और सेना को नए तकनीक की मदद से मजबूत करने की कोशिश नहीं की।
कहीं-कहीं उन पर यह भी आरोप लगते है कि तुकोजी होलकर की सेना को उत्तरी अभियानों में अहिल्याबाई के कारण आर्थिक संकट सहना पड़ा।
जबकि वहीँ कुछ लोग कहते है कि तुकोजीराव होलकर के पास 12 लाख रुपए थे। वह अहिल्याबाई से रुपए की माँग पर माँग करता था और संसार को ये दिखलाता था कि वह आर्थिक समस्या से झूझ रहा हैं, फिर इसमें अहिल्याबाई का कैसा दोष।
अहिल्याबाई के नाम पर अहिल्यावोत्सव पर्व
इन्दौर में हर साल भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी के दिन अहिल्योत्सव का पर्व मनाया जाता है। आज भी इंदौर के घर-घर में अहिल्याबाई के त्याग और बलिदान की गाथाएँ सुनाई जाती है। स्वतन्त्र भारत में अहिल्याबाई होल्कर का नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है।
अहिल्याबाई की मृत्यु स्थान और समय
अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु | 13 अगस्त 1795 ई. |
मृत्यु स्थान | इंदौर |
मृत्यु के समय उनकी उम्र | 70 वर्ष |
अहिल्याबाई होल्कर की जब मृत्यु हुयी तो 70 वर्ष की थीं , कहते है कि अचानक उनकी तबियत बिगड़ जाने के कारण 13 अगस्त 1795 को अचानक उनका स्वर्गवास हो गया।
अहिल्याबाई के मृत्यु के पश्चात उनके सबसे करीबी रह चुके महाराजा तुकोजी राव ने राज्य की शासन व्यवस्था का भार अपने कंधे पर लिया।
अहिल्याबाई होलकर की जब मृत्यु हुयी तो उस समय इंदौर में थी। अहिल्याबाई अपने कार्यों , जनता के प्रति अपने समर्पण और त्याग की वजह से सदैव याद रखी जाएँगी।
अहिल्याबाई के योगदान हेतु भारत सरकार द्वारा उनको सम्मान
अहिल्याबाई होल्कर को एक ऐसी नारी शक्ति के रूप में देखा जाता है , जिन्होंनें भारत के विभिन्न राज्यों में मानवता की भलाई के लिये अनेक कार्य किये हैं।
इसलिये भारत सरकार तथा विभिन्न राज्यों की सरकारों ने उनकी प्रतिमाएँ बनवायी हैं और उनके नाम से कई कल्याणकारी योजनाओं को भी चलाया जा रहा है।
एक प्रचलित योजना उत्तराखण्ड सरकार की ओर से भी चलाई जा रही है। जो अहिल्याबाई होल्कर को पूर्णं सम्मान देती है। इस योजना का नाम “अहिल्याबाई होल्कर भेड़ बकरी विकास योजना“ है।
अहिल्याबाई होल्कर भेड़ बकरी पालन योजना के फलस्वरूप उत्तराखंड सरकार द्वारा बेरोजगार, बीपीएल राशनकार्ड धारकों, महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बकरी पालन यूनिट के निर्माण के लिये भारी अनुदान राशि प्रदान की जाती है।
लगभग 1,00,000 रूपये की इस युनिट के निर्मांण के लिये सरकार की ओर से 91,770 रूपये अनुदान अहिल्याबाई होल्कर के लाभार्थियों को प्राप्त होते हैं।
अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर आधारित सीरियल “पुण्यलोक अहिल्याबाई”
सीरियल का नाम( Serial name) | पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर |
प्रसारित चैनल का नाम | सोनी टीवी (Sony T.V) |
शुरुआत (1st Episode) | 4 जनवरी 2021 |
डायरेक्टर (Director) | जैक्सन सेठी( Jackson Shethy) |
कलाकार (Cast) | Aetasha sansgiri (अहिल्याबाई होल्कर), अदिति जलतारे, राजेश श्रृंगारपुरे , क्रिश चौहान |
अहिल्याबाई की विचारधाराएं और उनका व्यक्तित्व
अहिल्याबाई होल्कर के सम्बन्ध में दो तरह की विचारधाराएँ रही हैं। जहाँ एक तरफ उनको देवी के अवतार की पदवी दी गई है, वहीँ दूसरी तरफ उनके अति उत्कृष्ट विचारों के साथ पुराने परम्पराओं के प्रति श्रद्धा को भी प्रकट किया है।
अगर सच कहे तो अहिल्याबाई अमावस के काले अँधेरे में सूर्य के अलौकिक प्रकाश के किरण के समान थीं, जिसे अँधेरा बार-बार आहत करने का प्रयास करता रहा, परन्तु उन्होंने हर नहीं मानीं।
अपने उत्कृष्ट विचारों एवं नैतिक आचरण के चलते ही समाज में उन्हें देवी का दर्जा मिला।
FAQ
Q.1 खंडेराव की कितनी पत्नियां थी?
Ans. खंडेराव होलकर की चार पत्नियां थीं – अहिल्याबाई, पाराबाई, पीताबाई और सुरताबाई
Q.2 अहिल्याबाई के कितने पुत्र थे?
Ans. अहिल्याबाई के एक पुत्र और एक पुत्री थी , पुत्र का नाम मालेराव था और पुत्री का नाम मुक्ताबाई था।
Q.3 अहिल्याबाई कौन सी जाति की थी?
Ans. अहिल्याबाई मराठा साम्राज्य ( हिन्दू ) जाति की थी।
Q.4 होलकर वंश का अंतिम शासक कौन था?
Ans. होल्कर वंश के अंतिम शासक यशवंत राय होल्कर थे।
Q.5 होल्कर वंश का संस्थापक कौन था?
Ans. मल्हारराव होल्कर को होल्कर वंश का संस्थापक माना जाता है
Q.6 खंडेराव होलकर की मृत्यु कैसे हुई?
Ans. 1754 ई. में युद्ध के दौरान गोली लगने के कारण खंडेराव की मृत्यु हो गयी।
Q.7 क्यों अहिल्याबाई ने अपने बेटे को मार डाला?
Ans. अहिल्याबाई के बेटे मालेराव के रथ से एक बछड़ा मर जाता है जिसके कारण उन्होंने अपने पुत्र को मृत्युदंड की सजा दे दी।
Q.8 इंदौर की स्थापना कब हुई थी?
Ans. इन्दौर की स्थापना राव राजा नन्दलाल मंडलोई (जमींदार) ने 3 मार्च, 1716 में की थी।
Q.9 इंदौर का नाम कैसे पड़ा?
Ans. सन 1741 में इंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण किया गया था, जहाँ से पहले इंदूर और बाद में इन्दौर नाम रखा गया।
Q.10 मल्हारराव की मृत्यु कब हुई
Ans. मल्हारराव की मृत्यु सन 1766 में हो गयी।